tag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post9209049462147456736..comments2023-04-07T04:33:53.598-07:00Comments on saya ......साया: छंद मुक्त कविताओं की पहेली और सायारंजू भाटियाhttp://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-8535569179743982742009-10-09T00:57:32.605-07:002009-10-09T00:57:32.605-07:00Ranjana ji,
Subah ki ujali oah Chhandmukt ka...Ranjana ji,<br /> Subah ki ujali oah Chhandmukt kavita Bhavgarbhit hai jo shawyam ki "Manjil ki ore" badhne ki jhatpatahat ko darshati hai.S R Bhartihttps://www.blogger.com/profile/16535000568157262183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-75732183068966123172009-02-19T00:06:00.000-08:002009-02-19T00:06:00.000-08:00सुंदर एवं रमणीय रचनासुंदर एवं रमणीय रचनाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-51814362751382673482009-02-05T09:41:00.000-08:002009-02-05T09:41:00.000-08:00प्रेम जी को साधुवाद...प्रेम जी को साधुवाद...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-83483093395538471682009-02-04T01:16:00.000-08:002009-02-04T01:16:00.000-08:00समीक्षा के लिये साया पढी थी, तब एक आस अधूरी रह गई ...समीक्षा के लिये साया पढी थी, तब एक आस अधूरी रह गई थी, कि इसे शांति से भी पढना चाहिये था. <BR/><BR/>अब नये अर्थ निकल रहें हैं. स्वयं कवि नहीं हूं मगर अभिव्यक्ति का मर्म समझ सकता हूं. वासंती रंगों में रंगी हुई कवितायें...दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-43925378742594614192009-02-02T20:36:00.000-08:002009-02-02T20:36:00.000-08:00साधारण रेस्तरां में भी बहुत उयादगार स्वादिष्ट चाय ...<B>साधारण रेस्तरां में भी बहुत उयादगार स्वादिष्ट चाय मिल सकती है</B><BR/><BR/>रंजू जी की लेखनी पर प्रेम जी की समीक्षा पढ़कर बहुत अच्छा लगा। इस "साधारण" रेस्तरां के आगे सभी पंच-सितारा होटेल बेमानी हैं..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-45947061677376408642009-02-02T09:04:00.000-08:002009-02-02T09:04:00.000-08:00हम रंजना जी के साथ हो लेते हैं. आभार.हम रंजना जी के साथ हो लेते हैं. आभार.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-84249187667265769252009-02-02T08:39:00.000-08:002009-02-02T08:39:00.000-08:00अच्छा लेखन वही है जो मन को भा जाए । लिखने वाला जो ...अच्छा लेखन वही है जो मन को भा जाए । लिखने वाला जो चाहता है पहुचाना उससे कम न पंहुचे तो लेखन सार्थक हुआ मान लीजिये। आपके लेखन में भी मर्म है, शब्द है, तारतम्यता है, भाषा शैली है फ़िर वह छंदमुक्त है या नही कोई मायने नही रखता है ।जो सोचकर लिखा वह पाठक को मिला। बस भाषा की, कविता की या लेखन की सार्थकता सिद्ध हो गई ।पढने वाला एक बार आपके लेखन की बयार के साथ बह निकले तो कुछ अर्थ न भी समझ में आए तो भी आनंद आ जाता है ।मैंने प्रत्यक्ष रूप से यह महसूस किया है । आप किसी भी रुद्राभिषेक में देखिये रावण रचित शिवतांडवस्त्रोत्र का पाठ करते समय हर भक्त लाया में रम जाता है जबकि जायदातर को यह समझ में नही आता है कि <BR/>जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थलेगलेऽवलम्ब्यलम्बितांभुजंगतुंगमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयंचकारचंडतांडवंतनोतु न: शिव: शिवम.. <BR/>का क्या अर्थ है . पर मन को तो बहाकर आनंद के सागर में ले जाने में पूरी तरह से सक्षम है । <BR/>अच्छा है इश्वर से प्रार्थना है कि आप लेखन के क्षेत्र में नाम कमायें <BR/><BR/>सुशील दीक्षितसुशील दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/02670860200583405414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-83641726590689087352009-02-02T05:39:00.001-08:002009-02-02T05:39:00.001-08:00प्रेम जी ने आपकी रचनाओं का मर्म छू लिया है। उनकी द...प्रेम जी ने आपकी रचनाओं का मर्म छू लिया है। उनकी दोनों समीक्षाएं सार्थक,अच्छी और सच्ची हैं।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-73012454790897644342009-02-02T05:39:00.000-08:002009-02-02T05:39:00.000-08:00phoolon si mehekti saamiksha bahut sundarphoolon si mehekti saamiksha bahut sundarAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-15616458692051619492009-02-02T04:38:00.000-08:002009-02-02T04:38:00.000-08:00रंजना जी के शब्दों से पूर्ण सहमतिज़रूर पढ़ें:हिन्द-...रंजना जी के शब्दों से पूर्ण सहमति<BR/><BR/><BR/>ज़रूर पढ़ें:<BR/><A HREF="http://podcast.hindyugm.com/2009/02/anand-bakshi-song-writer-of-common-man.html" REL="nofollow">हिन्द-युग्म: आनन्द बक्षी पर विशेष लेख</A>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-80823155608445001722009-02-02T04:32:00.000-08:002009-02-02T04:32:00.000-08:00सुंदर और सार्थक समीक्षा है प्रेम जी की.मैं उनकी बै...सुंदर और सार्थक समीक्षा है प्रेम जी की.मैं उनकी बैटन से पूर्ण सहमत हूँ. जो रचना यहाँ उन्होंने यहाँ उधृत की है,मुझे भी बहुत ही पसंद है.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4962844441091590328.post-86203136902668256712009-02-02T04:30:00.000-08:002009-02-02T04:30:00.000-08:00रंजना जी प्रेम जी बहुत मन से आप को पत्र लिखा है......रंजना जी प्रेम जी बहुत मन से आप को पत्र लिखा है...उनकी बातें सीधी दिल में उतर जाती हैं...मैंने उन्हें पढ़ा नहीं लेकिन अनुमान कर सकता हूँ की उन्होंने जो लिखा होगा वो साहित्य की धरोहर ही होगा...<BR/>आप की जिस कविता का जिक्र उन्होंने किया है वो साया संग्रह की बेहतरीन कविताओं में से एक है...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com