pustak prakashan par badhai Ranjana ji.. इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे.. ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना.. लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है.. कोई बाहर का पक्का रंग लगाना.. के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये.. ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये.. इस बार.. ऐसा रंग लगाना... (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
25 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी जानकारी दी है .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओ के साथ ...
िस जानकारी के लिये धन्यवाद्
मेरी कामना है कि यह पुस्तक 5 फरवरी 2009 के बाद उपलब्ध ही न हो।
छह तारीख को मैं दिल्ली में ही हूँ.... ज़रूर जाऊंगा.... जानकारी के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ....
सादर
महफूज़...
अगर मेरे पास समय हुआ तो मै जरुर यहां इस स्टाल पर जाऊंगा
Jankaree ke liye shukeiya....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......
Gantantr diwas kee anek shubhkamnayen!
bahut badhai .........
बहुत सुन्दर....आप को गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें
वाकई जिंदगी एक साया ही है
आभार
pustak prakashan par badhai Ranjana ji..
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
jankaari ke liye dhanywaad...
हम तो दूर रहते हैं, नहीं तो अवश्य पधार देते.
हा हा हा
अब भविष्य में पधारने के लिए कमर कसे रहेंगे.
आपने बताया आभार.
Jankri ke liye bahut bahut dhanvad..Regards
The Lines Tells The Story of Life....Discover Yourself....
bahut sundar badhai
आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली
प्रेरणादायक कथा! धन्यवाद.
bahut bahut badhai ek achhi jaankari ke saath.
poonam
हम्म. देखता हूं कि जाना हो भी पाएगा कि नहीं...
किताब का नाम तो बड़ा सुन्दर लगा...
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'पाखी की दुनिया; में पाखी-पाखी...बटरफ्लाई !!
nice ...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
Thanks,
बहुत ही सुंदर.
वो खुशनसीब थे कि जिन्हें धूप मिल गई
मैं जम रहा था बर्फ था साया मेरे आगे।
दिल्ली के इस शानदार जल्से की बधाई और गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
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