तन तो थक कर चैन पा गया मेरा
पर मनं क़ी थकन अब कौन उतारे
खड़ी हूँ मैं भीड़ में तन्हा ऐसे
जैसे कोई किश्ती हो साहिल किनारे
एक शोर सा दिल में जाने यह है कैसा
एक आग दिल में कोई जैसे तूफ़ान उठा ले
अन्जाना अंधकार है मेरे चारो तरफ़
करता है दूर सितारो से भरा गगन कैसे इशारे
बिखरें हैं चारों तरफ़ धूल भरे यह रास्ते
मेरी मंजिल है कहाँ, कौन सा रास्ता अब पुकारे
मिलने को मिलता है यहाँ सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे !!
पर मनं क़ी थकन अब कौन उतारे
खड़ी हूँ मैं भीड़ में तन्हा ऐसे
जैसे कोई किश्ती हो साहिल किनारे
एक आग दिल में कोई जैसे तूफ़ान उठा ले
अन्जाना अंधकार है मेरे चारो तरफ़
करता है दूर सितारो से भरा गगन कैसे इशारे
बिखरें हैं चारों तरफ़ धूल भरे यह रास्ते
मेरी मंजिल है कहाँ, कौन सा रास्ता अब पुकारे
मिलने को मिलता है यहाँ सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे !!
2 टिप्पणियां:
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे !!
very beautiful line
सुंदर एहसास , बधाई।
आप के ब्लाग पर ’ब्लाग प्रहरी’ और ’हमारी वाणी’ का लोगो नहीं दिखा । अगर रजिस्टर्ड नहीं हैं तो करा लीजिये क्योंकि ब्लागवाणी बंद चल रहा है ।
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