आओ करें एक नयी शुरूआत
इस बिखरी हुई ज़िंदगी की
एक नये अंदाज़ से इसको संवारें
दिल की दीवारों को रंगें
अब नये रंग से
और पुराने ज़ख़्मों की छत पर
एक खपरैल नया डालें,
फेंक दें बाहर,
पुरानी यादों का कूड़ा
कुछ उम्मीद के नये पर्दे सजा लें
मिटा के दिल से दर्द का अंधेरा
प्यार की जूही, चंपा महका लें,
सजाएँ आँगन को अब
खिलखिलाती चाँदनी से
और तारो से अपना अंबर सजा लें
रहने न पाए अब कोई भी दरार
देखो, अब यह प्यार का घर है
आओ इसको मंदिर सा सजा लें!!
साया किताब से
19 टिप्पणियां:
यही आशा तो है जो जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा बनी रहती है -कविताओं के उद्धरण सर्वकालिक होते हैं मौके बेमौके बड़े काम आते हैं !
नए वर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएं !
सजाएँ आँगन को अब
खिलखिलाती चाँदनी से
और तारो से अपना अंबर सजा लें
बहुत सुंदर भाव लिये हे आप की यह सुंदर कविता, नये साल के आवगम की तेयारी मे. धन्यवाद
बहुत सुंदर भाव ...
naya sal mubarak ho
बहुत सुन्दर कविता है रन्जना जी.
नये वर्ष की अनन्त-असीम शुभकामनाएं.
फेंक दें बाहर,
पुरानी यादों का कूड़ा
कुछ उम्मीद के नये पर्दे सजा लें
मिटा के दिल से दर्द का अंधेरा
प्यार की जूही, चंपा महका लें,
xxxxxxxxxxxxxxxx
शब्द दिल पर असर कर गए ...शुक्रिया
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें..देर से पहुँचने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
आशा है यह नव वर्ष आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लेकर आएगा ..शुक्रिया .
Ummeed Jagati ek acchi kavita hai.... :)
aapki email id nahi hai mere paas.... aap den to Rachna aapko bhejta hun...
saadar
रहने न पाए अब कोई भी दरार
देखो, अब यह प्यार का घर है
आओ इसको मंदिर सा सजा लें!!
bahut sunder dhang se rachanaa pramstut ki hai.badhai
mera blog main bhi kabhi aaiya aapka swagaat hai.comments kariya to mujhe achaa lagegaa
आदरणीया रंजना जी
प्रिय रंजू जी
आज आपका जन्मदिन है…
जीवन में खिलता रहे , बारह मास बसंत !
ख़ुशियों का सुख-हर्ष का , कभी न आए अंत !!
* जन्मदिवस की हार्दिक बधाई ! *
शुभाकांक्षी
- राजेन्द्र स्वर्णकार
रंजना जी बहुत सुन्दर रचना सुन्दर भाव उम्मीद का दिया जलने को प्रेरित करती -बधाई हो
रंजना जी लेकिन हमारी सब पुरानी यादें कूड़ा नहीं होती ---न ??
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
फेंक दें बाहर,
पुरानी यादों का कूड़ा
कुछ उम्मीद के नये पर्दे सजा लें
मिटा के दिल से दर्द का अंधेरा
प्यार की जूही, चंपा महका लें,
बहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर कविता ...अच्छा लगा यहाँ आकर ..बधाई
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'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!
sundar ati sunadr... jab koi darvaja band hota hai tab koi dusra darvaja khulta hai... bahut sundar bhaavnaye... aapka mere blog me bhi swagat hai...
khubsurat bhavon se sazi sundar rachan :)
जीवन को सार्थक बनाते खूबसूरत एहसास। शुभकामनायें।
सुन्दर...आज देखा...
बहुत सुंदर रचना
रहने न पाए अब कोई भी दरार
देखो, अब यह प्यार का घर है
आओ इसको मंदिर सा सजा लें!!
ye paktiya kavita ki jaan hai
kavyachitra.blogspot.com
फेंक दें बाहर,
पुरानी यादों का कूड़ा
कुछ उम्मीद के नये पर्दे सजा लें
मिटा के दिल से दर्द का अंधेरा
प्यार की जूही, चंपा महका लें
बहुत अच्छी रचना , लम्बे अरसे बाद
पढ़ा
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