शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

बातें

मासूम सी मेरी बातें
अभी बहुत नादान है

तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से
यह बिल्कुल अनजान है,

करने हैं अभी कई
छोटे छोटे काम मुझको..

बिखरे घर को
फिर से सजाना है..

मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..

संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,

बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..

है यह काम बहुत छोटे छोटे
पर इसी से जीवन को सजाना है

तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!

4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!

वाह .. बहुत खूब !!

PUKHRAJ JANGID पुखराज जाँगिड ने कहा…

"मासूम सी मेरी बातें/अभी बहुत नादान है
तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से/यह बिल्कुल अनजान है.."
रिश्तों के अनगढपने में पिरोई ये बढिया पंक्तियां है रंजु जी...

mark rai ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति ....

Suman Dubey ने कहा…

रन्जू जी नमस्कार, क्या खूब बाते तो मेरी छोटी------तुन्हारीइ बाते ---------दिल न्ही उल्झाना है।