मासूम सी मेरी बातें
अभी बहुत नादान है
तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से
यह बिल्कुल अनजान है,
करने हैं अभी कई
छोटे छोटे काम मुझको..
बिखरे घर को
फिर से सजाना है..
मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..
संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,
बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..
है यह काम बहुत छोटे छोटे
पर इसी से जीवन को सजाना है
तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!
अभी बहुत नादान है
तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से
यह बिल्कुल अनजान है,
करने हैं अभी कई
छोटे छोटे काम मुझको..
बिखरे घर को
फिर से सजाना है..
मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..
संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,
बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..
है यह काम बहुत छोटे छोटे
पर इसी से जीवन को सजाना है
तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!
4 टिप्पणियां:
तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!
वाह .. बहुत खूब !!
"मासूम सी मेरी बातें/अभी बहुत नादान है
तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से/यह बिल्कुल अनजान है.."
रिश्तों के अनगढपने में पिरोई ये बढिया पंक्तियां है रंजु जी...
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
रन्जू जी नमस्कार, क्या खूब बाते तो मेरी छोटी------तुन्हारीइ बाते ---------दिल न्ही उल्झाना है।
एक टिप्पणी भेजें