सोमवार, 25 जनवरी 2010

ज़िंदगी एक साया ही तो है, कभी छांव तो कभी धूप ...

(इसको क्लिक करे )
"साया पुस्तक" प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 30 जनवरी 2010 से 7 फरवरी 2010 तक, 19वाँ विश्व पुस्तक मेला के दौरान हिन्द-युग्म के स्टॉल (हॉल नं॰ 12A, स्टॉल नं॰- 285) पर विक्रय के लिए उपलब्ध है। जरूर पधारें

25 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी दी है .. गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओ के साथ ...

निर्मला कपिला ने कहा…

िस जानकारी के लिये धन्यवाद्

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मेरी कामना है कि यह पुस्‍तक 5 फरवरी 2009 के बाद उपलब्‍ध ही न हो।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

छह तारीख को मैं दिल्ली में ही हूँ.... ज़रूर जाऊंगा.... जानकारी के लिए आपका शुक्रगुज़ार हूँ....

सादर

महफूज़...

राज भाटिय़ा ने कहा…

अगर मेरे पास समय हुआ तो मै जरुर यहां इस स्टाल पर जाऊंगा

Apanatva ने कहा…

Jankaree ke liye shukeiya....गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......

shama ने कहा…

Gantantr diwas kee anek shubhkamnayen!

सुशीला पुरी ने कहा…

bahut badhai .........

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत सुन्दर....आप को गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

वाकई जिंदगी एक साया ही है

आभार

दीपक 'मशाल' ने कहा…

pustak prakashan par badhai Ranjana ji..
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

jankaari ke liye dhanywaad...

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

हम तो दूर रहते हैं, नहीं तो अवश्य पधार देते.
हा हा हा
अब भविष्य में पधारने के लिए कमर कसे रहेंगे.
आपने बताया आभार.

Dev ने कहा…

Jankri ke liye bahut bahut dhanvad..Regards

The Lines Tells The Story of Life....Discover Yourself....

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut sundar badhai

SATYA ने कहा…

आप भी इस बहस का हिस्सा बनें और
कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
अकेला या अकेली

सुधीर राघव ने कहा…

प्रेरणादायक कथा! धन्यवाद.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

bahut bahut badhai ek achhi jaankari ke saath.
poonam

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

हम्म. देखता हूं कि जाना हो भी पाएगा कि नहीं...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

किताब का नाम तो बड़ा सुन्दर लगा...

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'पाखी की दुनिया; में पाखी-पाखी...बटरफ्लाई !!

ManPreet Kaur ने कहा…

nice ...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou

rajesh singh kshatri ने कहा…

Thanks,

rajesh singh kshatri ने कहा…

बहुत ही सुंदर.

kumar zahid ने कहा…

वो खुशनसीब थे कि जिन्हें धूप मिल गई
मैं जम रहा था बर्फ था साया मेरे आगे।

दिल्ली के इस शानदार जल्से की बधाई और गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं