तुम तो हो उस पार साजन
मैं कैसे तुम तक आऊं
बीच में यह दुनिया सागर सी
तिल तिल जलती जाऊं
चातक सी तृष्णा लिए मन में
बदरा की आस लगाऊं
कैसे नापूं सीमा विरह की
कैसे प्यार मैं पाऊं
दिल में अथाह सागर आंसूं का
पर सूखे पीड़ा में भरे लोचन
कैसे बेडा पार लगाऊं
मंज़िल पल पल मुझे पुकारे
मिलन की नित्य मैं आस लगाऊं
अल्हड मन अनहद गीत स्वर
दर्द का नया गीत बुन जाऊं
करवटों में बीती रतियां
तुम में मैं खो जाऊं
थक गए हैं मन के पखेरू
बोझिल सी हो गई है साँसे
गीत गुजरिया सा बना बंजारिन
मदहोशी सह न पाऊं
कैसे अपना नीड़ बसाऊं
कैसे मैं तुझ तक आऊं
तुम तो हो उस पार साजन
विरह की अग्न से जल जल जाऊं!!
मैं कैसे तुम तक आऊं
बीच में यह दुनिया सागर सी
तिल तिल जलती जाऊं
चातक सी तृष्णा लिए मन में
बदरा की आस लगाऊं
कैसे नापूं सीमा विरह की
कैसे प्यार मैं पाऊं
दिल में अथाह सागर आंसूं का
पर सूखे पीड़ा में भरे लोचन
कैसे बेडा पार लगाऊं
मंज़िल पल पल मुझे पुकारे
मिलन की नित्य मैं आस लगाऊं
अल्हड मन अनहद गीत स्वर
दर्द का नया गीत बुन जाऊं
करवटों में बीती रतियां
तुम में मैं खो जाऊं
थक गए हैं मन के पखेरू
बोझिल सी हो गई है साँसे
गीत गुजरिया सा बना बंजारिन
मदहोशी सह न पाऊं
कैसे अपना नीड़ बसाऊं
कैसे मैं तुझ तक आऊं
तुम तो हो उस पार साजन
विरह की अग्न से जल जल जाऊं!!
11 टिप्पणियां:
very good...
very good...
अति सुंदर..।
विरह की पीड़ा को समेटे
भावपूर्ण रचना ...
सम्वेदना युक्त प्रश्न विरह की वेदना मे सने हुए...अति सुंदर।
भावपूर्ण रचना
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
तुम तो हो उस पार साजन
विरह की अग्न से जल जल जाऊं!!
बहुत गहन भाव ....
सुंदर रचना रंजू जी ॥
very nice poetry ..plz keep blogging ..congr8.
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